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‘POK नेहरू जी की विरासत है…’, लोकसभा में विपक्ष पर बरसे अमित शाह, पढ़ें 10 बड़ी बातें

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Posted On:Tuesday, July 29, 2025

संसद के मानसून सत्र में आज एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में जोरदार बहस देखने को मिली। सोमवार को लोकसभा में शुरू हुई इस चर्चा को मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने आगे बढ़ाया। वहीं, राज्यसभा में चर्चा का दौर दोपहर 2 बजे से शुरू हुआ। यह बहस सिर्फ सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें भारत की सुरक्षा नीति, पाकिस्तान की भूमिका, और पूर्ववर्ती सरकारों के ऐतिहासिक निर्णयों पर तीखे सवाल-जवाब भी देखने को मिले।


🔥 अमित शाह का विपक्ष पर हमला

लोकसभा में अपनी बात रखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और सेना के पराक्रम को लेकर विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा है, जो कि राष्ट्रहित के खिलाफ है।

अमित शाह ने ऑपरेशन महादेव का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसमें लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मार गिराया गया। इनमें से एक आतंकी सुलेमान वही था, जो पहलगाम हमले में शामिल था। शाह ने बताया कि एनआईए ने पहले ही उन लोगों को गिरफ्तार कर लिया था, जिन्होंने इन आतंकियों को शरण दी थी।


🇵🇰 पाकिस्तान से आई थी आतंक की खेप: शाह

जब कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सवाल उठाया कि आतंकी पाकिस्तान से आए हैं इसका क्या सबूत है, तो अमित शाह ने साफ कहा:

हमारे पास उनके हथियार, उनकी पैकिंग, यहां तक कि पाकिस्तान में बनी चॉकलेट भी हैं। क्या ये सबूत नहीं हैं? पूरी दुनिया मान रही है कि हमला पाकिस्तान से प्रायोजित था।


⚔️ सीसीएस मीटिंग और सेना को मिला फ्री हैंड

शाह ने यह भी बताया कि जिस समय यह हमला हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की यात्रा पर थे। हमले के बाद जब वे लौटे, तो 23 अप्रैल को CCS (कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी) की बैठक बुलाई गई। इस मीटिंग में पीएम ने दो बड़े फैसले लिए:

  1. सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया गया।

  2. सेना को बदला लेने के लिए फ्री हैंड दिया गया।

शाह ने कहा कि कांग्रेस की सबसे बड़ी ऐतिहासिक गलती सिंधु जल संधि थी, जिसमें भारत की नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।


💥 सीमा पार घुसकर की गई कार्रवाई

गृह मंत्री ने खुलासा किया कि इस बार भारतीय सेना ने सिर्फ पीओके तक सीमित नहीं रहकर, पाकिस्तान की सीमा में 100 किमी अंदर तक जाकर आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह किया। उन्होंने साफ कहा:

हमने सिर्फ आतंकियों के अड्डों को निशाना बनाया। किसी नागरिक स्थान को नहीं छुआ। पाकिस्तान इसे अपने ऊपर हमला बताकर दुनिया को गुमराह कर रहा है, जबकि हम केवल आत्मरक्षा का अधिकार निभा रहे हैं।


🗣️ हुर्रियत नहीं, कश्मीर के युवाओं से संवाद

शाह ने कहा कि सरकार किसी भी हाल में हुर्रियत जैसे गुटों से बात नहीं करेगी, क्योंकि वे आतंकियों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य कश्मीर के युवाओं से सीधे संवाद करना है। शाह ने बताया कि पहले कश्मीर में 138 दिन तक बंद रहते थे, लेकिन अब घाटी शांत है और पाकिस्तान की हिम्मत नहीं कि वहां बंद करवाए।


पाकिस्तान को करारा जवाब

अमित शाह ने बताया कि 8 मई को पाकिस्तान ने हमला किया, लेकिन भारत को कोई नुकसान नहीं हुआ। अगले दिन भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और आतंकियों के अड्डों को खत्म कर दिया।


🏹 इतिहास के पन्नों से कांग्रेस पर प्रहार

गृह मंत्री ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पाकिस्तान कांग्रेस की ऐतिहासिक भूलों का नतीजा है। उन्होंने कहा:

  • 1948 में कश्मीर में जब भारतीय सेना का पलड़ा भारी था, तो सरदार पटेल आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन नेहरू ने युद्धविराम की घोषणा कर दी।

  • सिंधु जल संधि के तहत 80% जल पाकिस्तान को सौंप दिया गया।

  • 1971 में भारत ने 15,000 वर्ग किमी क्षेत्र और 93 हजार पाक सैनिकों को कब्जे में लिया, लेकिन शिमला समझौते में PoK मांगना ही भूल गए।

शाह ने व्यंग्य करते हुए कहा – “अगर उस वक्त PoK ले लेते, तो आज न बांस होता और न बांसुरी बजती।


🌍 ऑपरेशन सिंदूर की अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान का पूरा सिस्टम आतंकवाद को पनाह देता है, सेना से लेकर सरकार तक सब इसमें शामिल हैं।


🔚 निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में जारी चर्चा से एक बात साफ है कि यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक, कूटनीतिक और ऐतिहासिक प्रतिक्रिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने न सिर्फ सरकार की नीति को स्पष्ट किया, बल्कि विपक्ष को भी कठघरे में खड़ा किया। अब सबकी निगाहें राज्यसभा में होने वाली बहस और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विपक्ष के नेता खड़गे की प्रतिक्रियाओं पर टिकी हैं।

यह बहस सिर्फ अतीत की गलतियों की समीक्षा नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा नीति का भविष्य तय करने वाली दिशा बन चुकी है।


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